Police-CBI पर सवाल : माफिया अतीक के शूटर कवि ने साबित कर दिया कि,डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है
कौशांबी पुलिस ने घेराबंदी तेज की है तो सीबीआइ भी सक्रिय हो गई है। इस बार पुलिस ने अब्दुल कवि को दबोचने में पूरा जोर लगा दिया है। अब्दुल कवि के पकड़े जाने पर अतीक गिरोह के कई राज बेनकाब हो सकते हैं। हालांकि परिवार के 11 नामजद आरोपितों में एक भी गिरफ्तारी नहीं होने से पुलिस की बेहद किरकिरी भी हो रही है।
बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड में फरार चल रहे एक लाख के इनामिया शूटर अब्दुल कवि का लखनऊ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करना, पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है।
बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड में फरार चल रहे एक लाख के इनामिया शूटर अब्दुल कवि का लखनऊ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करना, पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है। पुलिस का दावा है कि कचहरी में सख्त पहरेदारी के कारण शूटर ने लखनऊ पहुंच कर आत्मसमर्पण किया। माफिया अतीक अहमद के शूटर कवि ने पुलिस को धता बताकर साबित कर दिया कि डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है।
इस घटनाक्रम के बाद सवाल यह है कि जब कोई अपराधी अदालत में सरेंडर करता है तो जिस थाने में उसके खिलाफ अभियोग दर्ज होता है वहां से आख्या मांगी जाती है। अगर अपराधी के खिलाफ आरोप पत्र भी लगा है तो सरकारी वकील को आख्या मंगाने की अनुमति मिलनी चाहिए, लेकिन शूटर अब्दुल कवि के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

18 साल से चल रहा था फरार
एसटीएफ व प्रदेश भर की पुलिस कवि खोजने का ढिंढोरा पीटती रही। उधर वह मजे से बुधवार को अदालत में हाजिर हो गया। सरायअकिल कोतवाली के भखंदा गांव निवासी शूटर अब्दुल कवि 25 जनवरी 2005 में हुए बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड में फरार चल रहा था।
18 वर्ष से पुलिस व सीबीआई को चकमा देकर फरार अपराधी का नाम तब सुर्खियों में आया जब 24 फरवरी को राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल व उनके दो सरकारी गनर की गोली व बम मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद पुलिस माफिया अतीक के शूटर अब्दुल कवि की गिरफ्तारी को लेकर संजीदा हुई। हालांकि उमेश पाल हत्याकांड से पहले 14 फरवरी को सीबीआई ने उसके घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा कराया था।
आईजी ने घोषित किया है एक लाख का इनाम
आईजी चंद्रप्रकाश ने अब्दुल कवि की गिरफ्तारी के लिए एक लाख का इनाम भी घोषित कर दिया। पुलिस ने कवि की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने को तीन मार्च को बुलडोजर से उसके घर को जमींदोज कराकर नाजायज असलहे व बम बरामद किए। अब्दुल कवि समेत परिवार के 11 सदस्यों के खिलाफ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। अब्दुल कवि के ससुर, बहन, बहनोई आदि को भी गिरफ्तार किया गया।
उमेश हत्याकांड के बाद कुल 19 मददगारों के पास से 44 नाजायज असलहे बरामद किए गए। पुलिस ने शूटर का फोटो सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कराया। इसके बाद भी पुलिस व एसटीएफ उसे गिरफ्तार करने में नाकामयाब रही। बुधवार को सीबीआई कोर्ट में बिना किसी तामझाम के साथ पहुंचे शूटर कवि ने आत्म समर्पण किया तो कई सवाल उठे।
बड़ा सवाल यह है कि जिस व्यक्ति को पुलिस 18 साल से गिरफ्तार नहीं कर सकी वह आम मुजरिम की तरफ कोर्ट तक पहुंचा कैसे? इस बाबत पुलिस के अफसर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। उनका रटा-रटाया जा जवाब है कि पुलिस की सख्ती का असर रहा कि कवि को मजबूरन अदालत में हाजिर होना पड़ा।
पुलिस की सबसे बड़ी चूक व किरकिरी बना कवि का सरेंडर
राजूपाल हत्याकांड में शूटर अब्दुल कवि के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर रखी थी। इसके बाद भी पुलिस जिला अदालतों में उसके सरेंडर होने का इंतजार करती रहती। सीबीआई कोर्ट की तरफ न तो पुलिस का ध्यान था और न ही एसटीएफ का। जिसका नतीजा रहा कि 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस की गतिविधि पर नजर रखने के बाद एक महीने छह दिन बाद यानि पांच अप्रैल को माफिया अतीक के शूटर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
राम ललन पांडेय का कहना है
जिस मुकदमे में अगर चार्जशीट दाखिल नहीं होती है तो पुलिस संबंधित थाने से आख्या तलब करती है। अगर चार्जशीट लगी है और आरोपी सरेंडर कर रहा है तो अदालत चार्जशीट देखने के बाद उसे न्यायिक अभिरक्षा में लेती है। अब्दुल कवि के खिलाफ चार्जशीट दाखिल थी, इस वजह से कोर्ट को थाने से आख्या मांगने की जरूरत नहीं थी।